यूं तो रोज आपसे कोई न कोई सूचना ही शेयर करते हैं। पर आज नहीं।
आज मन बड़ा व्यथित है। मेरे देश की बेटी असुरक्षित है।
सोचा आज आपसे अपने मन के कुछ भाव भी शेयर करूं।
तुमसे बस यही पूछ रही...
सारा देश नफरत की आग में जल रहा है,
महोब्बत की दुकान वाले गायब हैं।
एक दुकान वहां भी खोल दो,
जहां बेटियां असुरक्षित हैं।।
कब तक मौन रहोगे,
कब तक बंटे रहोगे।
बेटी तेरी है या मेरी,
कब तक फर्क करोगे।।
बेटी बंगाल की हों,
या हों यूपी बिहार की।
कब तक यूं ही राज्यों मे बटी रहेगी,
बेटी मेरे भारत की।।
निर्भया से लेकर
बंगाल की डॉक्टर तक,
इंसाफ अभी तक बाकी हैं।
कौन करेगा भरोसा राज पर,
जब खादी ही दागी है।।
साफ नियत और सच्चे मन की,
कमी बहुत खलती है।
न जाने किस माहौल में,
ये गंदगी पलती है।।
यहां मोहब्बत की दुकान वाले,
पूरा देश घूमते हैं।
पर जहां मोहब्बत की जरूरत है,
वहां एक पल न ठहरते हैं।।
किससे कहे बेटी,
अपनी सारी व्यथाएं।
कैसे समझाएं,
समाज की सारी अव्यस्थाएं।।
बेटी हूं,
पर उजालों से डर रही।
क्या खता है मेरी,
तुमसे बस यही पूछ रही।
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